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Wheat गेहूं की नई किस्म : 75 मण उत्पादन का नया रिकॉर्ड

Wheat भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने गेहूं की नई किस्म HD 3385 पेश की है, जो 75 मण उत्पादन क्षमता के साथ रोग प्रतिरोधी और तापमान सहनशीलता में उत्कृष्ट है। जानें इसके फायदे और बुवाई का सही समय।

उत्पादन में वृद्धि और रोग प्रतिरोधी क्षमताओं के साथ गेहूं की नई किस्म

कृषि में निरंतर सुधार के लिए काम कर रहे वैज्ञानिकों ने भारतीय किसानों के लिए एक नई आशा की किरण पेश की है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा विकसित गेहूं की नई किस्म HD 3385, उत्पादन और रोग प्रतिरोध में क्रांतिकारी साबित हो सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि इस नई किस्म की विशेषताएँ क्या हैं और यह किसानों के लिए कैसे लाभकारी हो सकती है।

HD 3385 की विशेषताएँ

उच्च उत्पादकता और रोग प्रतिरोधी क्षमताएँ

गेहूं की किस्म HD 3385 को विशेष रूप से उच्च उत्पादकता और विभिन्न रोगों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता के लिए विकसित किया गया है। इस किस्म की औसत उपज क्षमता 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है, जो इसे अन्य किस्मों की तुलना में अधिक प्रभावशाली बनाती है। इसके अलावा, HD 3385 जलवायु परिवर्तन, अचानक तापमान में वृद्धि, रतुआ और करनाल बंट जैसे प्रमुख रोगों के प्रति प्रतिरोधी है।

उच्च तापमान सहनशीलता

HD 3385 की एक विशेषता इसकी उच्च तापमान सहनशीलता है। यह किस्म उन क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती है जहां पारंपरिक किस्में तापमान में बदलाव को सहन नहीं कर पाती हैं।

HD 3385 का बुवाई का सही समय

सही बुवाई समय और तकनीकी जानकारी

उत्तर भारत के राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, एनसीआर दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस किस्म की बुवाई के लिए अक्टूबर अंत और नवंबर के पहले सप्ताह (25 अक्टूबर से 5 नवंबर) का समय सबसे उपयुक्त है। इस दौरान तापमान की स्थिति इस फसल के लिए अनुकूल होती है। किसान इस समय के दौरान तकनीकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं जो उन्हें सही तरीके से बुवाई करने में मदद करेगी।

भारत की गेहूं आत्मनिर्भरता

सालाना उत्पादन में वृद्धि और आत्मनिर्भरता

भारत का गेहूं उत्पादन अब 112.92 मिलियन टन तक पहुँच चुका है और देश गेहूं में आत्मनिर्भर बन गया है। यह उपलब्धि भारतीय कृषि वैज्ञानिकों, किसानों और श्रमिकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। भारत ने गेहूं के उत्पादन और निर्यात में प्रमुख स्थान प्राप्त किया है, जो खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

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